ज़रा सी थी अनबन वक़्त से मेरी
वो मेरे आगे आगे ही चला हरदम
बड़ी देर तक चला, बड़ी दूर चला
बमुश्किल मैं तुमसे दूर हो सका
क्यूं हसरतों के जाल में फसते हो रोज़ रोज़
जो तुमको था पाना, वो दीवाना है किसी का
क्या हुआ फायदा समझा के खुद को
वो शक्स चला गया, बस खयाल रहा
इतने जो मसरूफ़ दिखते हो
किसपे नज़र रखते हो
किसकी खबर चाहते हो
खुद को दो तसल्ली, करो उसपे ऐतबार
पल भर का है धोखा, बिखरोगे बार बार
ऐसी भी कमी लोगों की नहीं
बात चले कहीं से रुके तुम पे
ऐसी भी कमी लोगों की नहीं
बात जो आकर आप पे रुके